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पृथ्वीक कोरामे / पंकज कुमार

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कहैत छल
काल्हि हमर भूगोल
नहि बुझहल छह तोरा
साढ़े चारि अरब बरख उमरि भेलय
एहि पृथ्वीक
तेँ देखय नहि छहक
केना करैत छैक मतिछिन्नू जकाँ

कहि देलियै हम
एना किएक
ओल सनक बोल
होइत छौक तोहर
नहि बाजल कर हमरा लग
कोनो अनकट्ठल गप
तोरा नहि छौक समरथ
जे बुझि जेबीह अन्तर्मनक दशा

तोँ
नहि देखि सकैत छीही
कतेक लागल छैक ग्रहण गातमे
तोरा लेल पृथ्वी छौक
मात्र सौर परिवारक एकटा ग्रह
नहि बुझि सकैत छीही
कतेक नचनी-नाच
नाचय पड़ैत छैक भरि दिन
तोरा लेल होइत छौक
खाली दू गोट गति
एकटा घूर्णन आ दोसर परिक्रमण

तोँ
देखि सकैत छीही
दिन-राति आ ऋतु परिवर्तन
मुदा नहि छौक सम्भव
तोरा लेल बुझब ई तादात्म्य
जे एहि क्रममे
बेर बेर डाँड़ झुकेलासँ
सुरूजक धाहमे जड़ैत रहलासँ
कतेक बाँचल छैक
एहि देहमे आब लेश गुद्दा

तोँ
सहजतासँ कहि सकैत छीही जे
बनल छैक तीन गोट परत
सिआल, सिमा आ कोरसँ
मुदा ई समझब छौक
मसकिल तोरा लेल
हमरा सभक लेल अछि
मायक कोरा जकाँ
जे पोसि पालि रहलीह अछि
आइ धरि माय जकाँ

आब तोहिं कहि दे हमरा
की हेतैक
ओहि मायक हालति (?)
कोना बुझि सकैछ
केओ हुनक संताप (?)
जकर संतान क' रहलैक अछि
आइ अताइ जकाँ
निज स्वार्थक लेल
क' देलकैक अछि विनाश

साल भरि फल देमय बला गाछ
आब भ' गेलैक अछि
सुखाय टटाय क' ठूठ
पिअर-कपीस भ' दाँत
निपोड़ि देलकैक
आहार श्रृंखलाकेँ पूर्ण करय बला
जीव पानिक अभावमे
किएक
नदीक स्थान पर
आब छैक नाला

सभ किछु सहैत आइ धरि
अपन कोरामे राखने अछि
हमरा धरती माय

मुदा
सोचबाक खगता तँ छैक
बरू किछु भ' जाइक
हम नहि जाय देबनि हुनका
कोनो वृद्धाश्रममे
हमरा रहबाक अछि
अवशिष्ट जीवन हिनक कोरामे


हमरे टा नहि
हमर माययोक माय छथि।