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पेड़ की प्रार्थना / दीनदयाल शर्मा

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मुझको तुम मत काटो प्यारे
हम हैं तुम सबके रखवारे ।

हम नभ में बदरा लाते हैं
बरखा फिर हम करवाते हैं
धरती पर छाए हरियाली
खुशियाँ फैले द्वारे-द्वारे ।

प्राणवायु, फल, औषधि देते
बदले में कुछ भी ना लेते
जीवनदाता हम कहलाते
हमसे हैं जग के जन सारे ।

अपने स्वार्थ को त्यागो तुम
मत काटो पछताओगे तुम
हम भी तो हैं जीव जगत के
नाहक बनते क्यूँ हत्यारे ।।