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पेड़ धरा कि शान / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

पौधे हैं क्यारी की शोभा,
पेड़ धरा कि शान।
ये सब अपने घर जैसे है,
मत समझो मेहमान।

पेड़ नहीं मृत पत्थर जैसे
इनमें होती जान।
प्राण वायु देकर करते ये,
दुनियाँ पर अहसान।

फल देते हैं, छाया देते,
ये हैं बड़े महान।
हैं ये पिता समान हमारे,
हम इनकी संतान।

ठीक समय पर बरसे पानी,
रखते इसका ध्यान।
लाते पकड़-पकड़ मेघों को,
खींच-खींच कर कान।