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पेड़ पर्वत परिन्दे सभी प्रार्थना / ज्ञान प्रकाश विवेक

पेड़ पर्वत परिंदे सभी प्रार्थना
वक़्त के सामने ज़िन्दगी प्रार्थना

घुप अँधेरा बियाबान चारों तरफ़
जैसे जुगनू की हो रोशनी प्रार्थना
 
रेज़गारों , में झुलसे हुए शख़्स को
एक कीकर की छाँव लगी प्रार्थना

जो कि मुफ़लिस के हक़ में लिखी जाएगी
शायरी होगी वो दर्द की प्रार्थना

फ़लसफ़ा आपका मुझको अच्छा लगा
आदमी के लिए आदमी प्रार्थना

इस जटिल झूठे चालाक संसार में
आपकी सादगी अनकही प्रार्थना
 
तेज़-तूफ़ान अपशब्द लिखता रहा
और दीपक की मासूम-सी प्रार्थना.