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पेड़ / कुमार विकल

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कभी यह पेड़ था कितना घना

देखो अब इसका क्या बना

समय की मार से

झर गए इसके पत्ते

तोड़ कर ले गए लोग

टहनियों के छत्ते

पीछे रह गया बस

एक सूखा तना.


कभी यह पेड़ था

कितना हरा

जैसे कोई कवि

गीत —कविताओं से भरा.