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पेन्टिंग-२ /गुलज़ार

रात जब गहरी नींद में थी कल
एक ताज़ा सफ़ेद कैनवस पर,
आतिशी सुर्ख रंगों से,
मैंने रौशन किया था इक सूरज!

सुबह तक जल चुका था वह कैनवस,
राख बिखरी हुई थी कमरे में!!