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पैराडाइज़ लॉस्ट-2 / स‍ंजीव सूरी

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पैराडाइज़ लास्ट (दो)

पैराडाइज़ जिस कीली
पर घूम रहा था
उसे जंग लग गया है
शैतान और उसका दिस्त बीएल्ज़ेबब
ईसा से साँठ-गाँठ करने के वास्ते
एडम को विश्वास में लेने लगे हैं
ईव को क्या बहकाना
उसकी तो महज़ गाल छू कर
उसकी सुन्दरता का बखान करके
उसे फुसलाया जा सकता है
यूँ भी फ़ोर्बिडन फ़्रूट को खाने के बाद
हो गई है वह ज़्यादा ब्यूटी कांशियस
शैतान और उसके शौतान दोस्त ने
तरकीब बना ली है कि
एडम को भेज देंगे वे एम. पी. बना कर
दिल्ली में
और खोल देंगे एक ब्यूटी पार्लर
जहाँ घंटों बैठ ईव
सजती सँवरती रहेगी

इस उन्नति के दौर में
जब कोशिश हो रही है
मिसाइलों को ज़मीन से पैराडाइज़ तक पहुँचाने की
ख़तरनाक विचारों को पैक करके भेजा जा सकता है
भूतपूर्व पैराडाइज़ में

महाकवि मिल्टन अपनी क़ब्र में
करवटें लेता हुआ सोच रहा है
‘पैराडाइज़ लास्ट’, ‘पैराडाइज़ रीगेन्ड’ के बाद
अब लिखा जाए:
पैराडाइज़: हैंगिंग बिटविन अर्थ एंड स्काई’