भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्यारा बापूजी / रचना शेखावत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्यारा बापूजी
जकी सूळां री झाड़ी
थे काट नांखी ही बारै
थांरै गुलदाउदी रै बगीचै सूं
ओळखो, म्हैं वा इज हूं सागण
थां रा वै अंगरेजी पौधा
धूळ मांय रळ रैया है
अर म्हारी डाळ-डाळ माथै
नवा गुलाब खिल रैया है।