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"प्यार हमने किया, उनपे एहसान क्या / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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प्यार हमने किया, उनपे एहसान क्या, प्यार कहकर बताना नहीं चाहिए
 
प्यार हमने किया, उनपे एहसान क्या, प्यार कहकर बताना नहीं चाहिए
रागिनी एक दिल में है जो गूँजती, उसको होठों पे लाना नहीं चाहिए  
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रागिनी एक दिल में जो है गूँजती, उसको होँठों पे लाना नहीं चाहिए  
  
 
यों तो मंज़िल नहीं इस सफ़र में कोई, फिर भी मंज़िल का धोखा तो होता ही है
 
यों तो मंज़िल नहीं इस सफ़र में कोई, फिर भी मंज़िल का धोखा तो होता ही है
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ठेस गहरी लगी आज दिल में, मगर हार कर बैठ जाना नहीं चाहिए
 
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ज़िन्दगी के थपेडों से मुरझा गए, हम भी थे उनकी नज़रों के क़ाबिल कभी  
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बाग़ में कह रहा था गुलाब एक यों, 'हमको ऐसे भुलाना नहीं चाहिए
 
बाग़ में कह रहा था गुलाब एक यों, 'हमको ऐसे भुलाना नहीं चाहिए
 
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02:07, 12 अगस्त 2011 के समय का अवतरण


प्यार हमने किया, उनपे एहसान क्या, प्यार कहकर बताना नहीं चाहिए
रागिनी एक दिल में जो है गूँजती, उसको होँठों पे लाना नहीं चाहिए

यों तो मंज़िल नहीं इस सफ़र में कोई, फिर भी मंज़िल का धोखा तो होता ही है
कहनेवाले भले ही ये कहते रहें, हमको धोखे में आना नहीं चाहिए

हम खड़े तो रहे प्यार की राह में, देखकर भी न देखें जो वे, क्या करें!
सर दिया काटकर भी तो बोले यही--'खेल है यह पुराना, नहीं चाहिए'

कौन जाने कि अगले क़दम पर तुझे, उनके आँचल की ठंडी हवा भी मिले!
ठेस गहरी लगी आज दिल में, मगर हार कर बैठ जाना नहीं चाहिए

ज़िन्दगी के थपेडों से मुरझा गये, हम भी थे उनकी नज़रों के क़ाबिल कभी
बाग़ में कह रहा था गुलाब एक यों, 'हमको ऐसे भुलाना नहीं चाहिए