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प्यार / अज्ञेय

 
प्यार एक यज्ञ का चरण
जिस में मैं वेध्य हूँ।
प्यार एक अचूक वरण
कि किस के द्वारा
मैं मर्म में वेध्य हूँ।

नयी दिल्ली, 29 जुलाई, 1968