Last modified on 25 जून 2019, at 18:52

प्रकृति आ हम / एस. मनोज

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:52, 25 जून 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एस. मनोज |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatMaithiliRac...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हम प्रकृति क उजारि
बसा लेलहुँ शहर
आ आब ताकि रहल छी
पोखरि , माँछ,मखान ,धान
पीपरक छाँव
कोयलीक कूक
मंद शीतल पवन
बरखा बुन्नी
शीत बताश
बाढि आ सुखारक
प्राकृतिक उपचार।
प्रकृति सँ छेङछाड
जीवन सँ छेड़छाड थिक।
प्रकृति विनिष्ट भ जाएत
त जीवन विनष्ट भ जाएत
प्रकृति आ जीवन संगे रहत
निर्णय मनुखे क हाथ अछि
ओ प्रकृति क साथ रहत
वा ओकरा उजारत