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"प्रयाणगीत / जयशंकर प्रसाद" के अवतरणों में अंतर

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हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
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अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़-प्रतिज्ञ सोच लो,
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प्रशस्त पुण्य पंथ हैं - बढ़े चलो बढ़े चलो।
  
हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती -<br>
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असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी।
स्वयंप्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती -<br>
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सपूत मातृभूमि के रुको न शूर साहसी।
अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़-प्रतिज्ञ सोच लो,<br>
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अराति सैन्य सिंधु में - सुबाड़वाग्नि से जलो,
प्रशस्त पुण्य पंथ हैं - बढ़े चलो बढ़े चलो।<br><br>
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असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी।<br>
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सपूत मातृभूमि के रुको न शूर साहसी।<br>
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अराति सैन्य सिंधु में - सुबाड़वाग्नि से जलो,<br>
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प्रवीर हो जयी बनो - बढ़े चलो बढ़े चलो।<br><br>
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15:43, 19 दिसम्बर 2018 के समय का अवतरण

हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयंप्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती
अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़-प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य पंथ हैं - बढ़े चलो बढ़े चलो।

असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी।
सपूत मातृभूमि के रुको न शूर साहसी।
अराति सैन्य सिंधु में - सुबाड़वाग्नि से जलो,
प्रवीर हो जयी बनो - बढ़े चलो बढ़े चलो।