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प्रश्नवेध / शिवशंकर मिश्र

मैं अपनी आँखें तुम्हें देता हूँ
तुम उसे दे दो
और उस से कहो
वह मेरी आँखों से तुझे देखे
और तब मैं उस की जबान से
तुम से पूँछूँ—
इस तरह रात भर वह जागता क्यों हैं?
क्या करता है वह?
अँधेरे की आँखों में
वह क्या पढ़ता रहता है?
सन्नाटे के होठों पर
आखिर वह क्या लिखता है?