Last modified on 25 मई 2008, at 12:07

प्रस्तुति / सुचेता मिश्र

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: सुचेता मिश्र  » प्रस्तुति

एक खुशखबरी लाने गया इन्सान

एक दिन ज़रूर लौटेगा !


उससे तुमने कहा है-

राजा-रानी का विवाद

चाँद पर पहुँचे आदमी की असुविधाएं

मानचित्र को रौंदती

शीत युद्ध की समस्या


उसने तुमसे सिर्फ

एक सवाल पूछा है-

खेत से जाकर शस्य कहाँ रहते हैं?


तुमने उसे किस ठिकाने भेजा है

अधगढ़े भाग्य

एक संकल्प का व्यंग्य लिए

वह गया तो गया है।


अगर वह थक गया है

तुम खुश मत होओ

अगर मर गया है

तो भी नहीं

पुनर्जन्म की तरह लौटेगा वह।


तुम छिपा रखो

सारे अस्त्र-शस्त्र

वह अपनी छाती भीतर परमाणु को

युद्ध में लगाना सीख चुका होगा।


अनुवादक : महेन्द्र शर्मा