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प्रिये आया ग्रीष्म खरतर... / कालिदास

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प्रिये!आया ग्रीष्म खरतर!

सूर्य भीषण हो गया अब,चन्द्रमा स्पृहणीय सुन्दर

कर दिये हैं रिक्त सारे वारिसंचय स्नान कर-कर

रम्य सुखकर सांध्यवेला शांति देती मनोहर.

शान्त मन्मथ का हुआ वेग अपने आप बुझकर

दीर्घ तप्त निदाघ देखो, छा गया कैसा अवनि पर

प्रिये!आया ग्रीष्म खरतर!