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प्रीतम जुनि जाऊ परदेश / कमलानंद सिंह 'साहित्य सरोज'

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प्रीतम जुनि जाऊ परदेश ।
ई हेमन्त में एकसर गेने पाएब परम कलेश ॥
शीत निवारण कारण अछि जे सुन्दर सब उपचार ।
से सब कतए अहाँ के भेटत भेने घरक बहार ॥
नीक भवन भोजन समयोचित ओढ़ना गरम बिछौना ।
अपन नारि केर हृदय लागि कए सुख सँ सूतब कोना ॥
भल नहि एखन भूमि पर सुति कँ पूसक राति बिताएब ।
सूनू कहल ‘सरोज’ हमर सुख घरहि मध्य सब पाएब ॥
प्रीतम जुनि जाऊ परदेश ॥