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प्रीति / कुमार मुकुल
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चौथाई दरवाजा खोल
निमिष भर नेह से निहारा क्या
हारा गया मैं
जीतता ही
तो जीतना कहाता
लहर भर पूरा देखा भी न था
और पटल पर पाटल सा चेहरा
उग-उग आता है।