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प्रेमपत्र-3 / मदन गोपाल लढा

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तुम्हारे प्रेमपत्र में
अब तक बाकी है
तुम्हारे स्पर्श का सौरभ।

आखर की आरसी में
मैं चीन्हता हूँ
तुम्हारा चेहरा।

प्रीत का पुराना पत्र
एक इतिहास है
अपने-आप में


मूल राजस्थानी से अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा