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प्रेम-3 / अर्चना भैंसारे

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क्या तुम जानते हो
आजकल
बाँटने लगी हूँ
मैं भी
तुम्हारी ही तरह
और
महसूसती हूँ कि
मेरा आँचल
तुम्हारे आकाश-सा
फैल रहा है...