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प्रेम के लिए फांसी (ऑनर किलिंग) / अनामिका

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प्रेम के लिए फांसी
पी गई मीरा हांसी
जो ज़हर का प्याला
चलो, गनीमत है कि
देवर ने भेजा था
उसके भाइयों ने नहीं
भाई भी भेज रहे हैं इन दिनों ज़हर के प्याले
‘रानाजी ने भेजा विष का प्याला’
कह पाना फिर भी आसान था
भैया ने भेजा, ये कहते हुए जीभ कटती
याद आते झूले अमराइयों के
बचपन की यादें रस्ता रोकतीं
उसका वो उंगली पकड़कर चलाना
कंधे पर बैठाकर मेला घुमाना
जेबखर्च के सारे पैसों से
कॉपियां किताबें दिलाना
ठगे से खड़े रहते सामने
सामा चकवा और बजरी! गोधन के सब गीत
किस बात पर इतना गुस्सा
घर की ही सरहद बढ़ाई है
और क्या किया?
क्या सारा गुस्सा इस बात का
कि बाबा ने कर दी ज्यादती
माटी तुम्हें लिख दी
पर तत्त्व मुझको पकड़ाया?
महल अटारे तुम्हें लिक्खे पर
धीरज की खेती मेरे नाम लिख दी
धीरज की खेती में भी जो ये
थोड़ा सा हिस्सा तुम्हारा भी होता तो
अकुलाते ऐसे नहीं न तुम
बात करूंगी बाबा से
सद्गुणों की पोटली में भी
आधा हो हिस्सा तुम्हारा
क्यों हो स्त्री धनही
त्याग-तपस्या या ममता
धीरज-दया या सहिष्णुता?
साझा हो सब कुछ हमारा
आजादी तो हरदम ही है साझा चूल्हा
बंटवारे के पहले के अमृतसर वाला!