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प्रेम पर कुछ बेतरतीब कविताएँ-2 / अनिल करमेले

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वह कितना महान क्षण था
जब शुरू किया मैंने
तुम्हें अपने भीतर महसूसना

वही जीवन का चरम था
मेरी मृत्यु
धीमी ।