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प्रेम / अनिल जनविजय

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तुम
इस बात से
अनजान थीं
और मैंने भी तुम्हें
कुछ नहीं बताया था

तुम रोती रहीं
और हाथ हिलाती रहीं
मैं तुमसे
प्रेम करते हुए
लौट आया था