Last modified on 9 नवम्बर 2010, at 12:21

प्रेम / रैनेर मरिया रिल्के

अनजाने परों पर आसीन
मैं
स्वप्न के अंतिम सिरे पर

वहाँ मेरी खिड़की है
रात्रि की शुरूआत जहाँ से होती है

और
वहाँ दूर तक मेरा जीवन फैला हुआ है

वे सभी तथ्य मुझे घेरे हुए हैं
जिनके बारे में मैं सोचना चाहती हूँ
तल्ख़
घने और निःशब्द
पारदर्शी क्रिस्टल की तरह आर-पार चमकते हुए
मेरे अंदर स्थित शून्य को लगातार सितारों ने भरा है
मेरा हृदय इतना विस्तृत इतना कामना खचित
कि वह
मानो उसे विदा देने की अनुमति माँगता है

मेरा भाग्य मानो वही
अनलिखा
जिसे मैंने चाहना शुरू किया
अनचीता और अनजाना
जैसे कि इस अछोर अपरास्त विस्तृत चरागाह के
बीचों-बीच मैं सुगंधों भरी साँसों के आगे-पीछे झूलती हुई

इस भय मिश्रित आह्वान को
मेरी इस पुकार को
किसी न किसी तक पहुँचना चाहिये
जिसे साथ-साथ बदा है किसी अच्छाई के बीच लुप्त हो जाना

और बस

अँग्रेज़ी से अनुवाद : धर्मवीर भारती