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प्रेम 1 / सोनी पाण्डेय

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तुम देखते हो अपलक
मुझे उस क्षण
जब प्यास से अधिक भूख बढती है
भूख का भूगोल जैविक है
प्यास का इतिहास भौतिक
चलो, मैं बुरा नहीं मानूँगीं
ये जानकर की तुम्हारी भूख
बाँधती है तुम्हें मुझसे
मैं मुग्ध हो जाती हूँ तुम पर
जब अपलक निहारते हुए तुम्हारी पनियायी आँखें कह देती हैं
विनम्र आग्रह स्वीकार होता है
जानते हो
ये याचना है भूख की स्नेहील
आओ! तुम्हारी भूख का स्वागत है