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"प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ-2 / मनीषा पांडेय" के अवतरणों में अंतर

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प्‍यार में डूबी हुई लड़कियों से
 
प्‍यार में डूबी हुई लड़कियों से

19:45, 2 नवम्बर 2015 के समय का अवतरण

प्‍यार में डूबी हुई लड़कियों से
सब डरते हैं

डरता है समाज
माँ डरती है,
पिता को नींद नहीं आती रात-भर,
भाई क्रोध से फुँफकारते हैं,
पड़ोसी दाँतों तले उँगली दबाते
रहस्‍य से पर्दा उठाते हैं...

लड़की जो तालाब थी अब तक
ठहरी हुई झील
कैसे हो गई नदी

और उससे भी बढ़कर आबशार
बाँधे नहीं बँधती
बहती ही जाती है
झर-झर-झर-झर।