Last modified on 20 मई 2014, at 15:57

फल फलित होय फलरूप जाने / सूरदास

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:57, 20 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूरदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatPad}} {{KKAn...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

फल फलित होय फलरूप जाने ।
देखिहु ना सुनी ताहि की आपुनी, काहु की बात कहो कैसे जु माने ॥१॥
ताहि के हाथ निर्मोल नग दीजिये, जोई नीके करि परखि जाने ।
सूर कहें क्रूर तें दूर बसिये सदा, श्री यमुना जी को नाम लीजे जु छाने ॥२॥