Last modified on 28 नवम्बर 2011, at 13:52

फ़ख्र से इस जुर्म का इकरार होना चाहिए / सिया सचदेव

फख्र से इस जुर्म का इकरार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए
 
इस जहाँ में कोई ग़म ख्वार होना चाहिए
सबके दिल में प्यार ही बस प्यार होना चाहिए
 
तेज़ चलने के लिए मुझसे ही क्यूं कहते है आप
आप को भी कुछ तो कम रफ़्तार होना चाहिए
 
ग़मज़दा देखे मुझे और हंस पड़े बेसाख्ता
क्या भला ऐसा किसी का यार होना चाहिए
 
उफ़ तेरा तिरछी नज़र से मुझे यूँ देखना
तीर नज़रों का जिगर के पार होना चाहिए
 
खुद परस्ती हर तरफ हैं क्यों 'सिया'
न किसी की राह में दीवार होना चाहिए