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फ़ल्सफ़े में फ़ँस गए हम सब्र में घाटा हुआ / विनय कुमार

फ़ल्सफ़े में फ़ँस गए हम सब्र में घाटा हुआ।
सामने जो फूला था वह सूखकर काँटा हुआ।

पीढ़ियों का है तजुर्बा अब ज़हर चढ़ता नहीं
लाइए पानी, पिएगा आपका काटा हुआ।

थूक कर तो चाटते ही थे सियासी लोग पर
थूकते हैं देखिए क्या षान से चाटा हुआ।

चाहकर भी घर का आटा हम न गीला कर सके
नैन बेपानी हुए जब हाथ में आटा हुआ।

यह तमाषा काठ की हाँडी नहीं तो और क्या
षोर आने का बहुत आए तो सन्नाटा हुआ।