Last modified on 20 अगस्त 2014, at 23:26

फागुन का त्यौहार / रमेश रंजक

बरसे रंग-फुहार छनाछन होरी है ।
फागुन का त्योहार छनाछन होरी है ।।

कोऊ मलै गुलाल कपोलन
कोऊ लै पिचकारी
कोऊ ढोल मजरीन के संग
नाचे दे दे तारी

बहै रंगीली ब्यार छनाछन होरी है ।
फागुन का त्योहार छनाछन होरी है ।।

बालक-बूढ़े, नर-नारिन के
अंग-अंग नसा समायौ
महल कुटी को भेद मिटावन
वारौ मौसम आयौ
हर आँगन दरबार छनाछन होरी है ।
फागुन का त्योहार छनाछन होरी है ।।

दिसा-दिसा पगली-सी झूमै
घड़ी-घड़ी मस्तानी
दीप सिखा-सी काया झूमै
मन झूमै लासानी
झूमै सभ संसार छनाछन होरी है ।
फागुन का त्योहार छनाछन होरी है ।।