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फिर इस दिल के मचलने की कहानी याद आती है / गुलाब खंडेलवाल

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फिर इस दिल के मचलने की कहानी याद आती है

मुझे फिर आज अपनी नौजवानी याद आती है


बहुत कुछ कहके भी उनसे न कह पाया था प्यार अपना

तपिश सीने की बस आँखों में लानी याद आती है


'कहा क्या! कल कहूंगा क्या! न यह कहता तो क्या कहता!'

यही सब सोचते रातें बितानी याद आती है


शरारत की हँसी आँखों में दाबे, नासमझ बनती

मेरी चुप्पी पे उनकी छेड़खानी याद आती है


भुला पाता नहीं मैं पोंछना काजल पलक पर से

लटें आवारा उस रुख से हटानी, याद आती है


कभी गाने को कहते ही, लजा कर सर झुका लेना

गुलाब! अब भी किसीकी आनाकानी याद आती है