Last modified on 4 अक्टूबर 2015, at 02:16

फूलों का संसार / बाबूलाल शर्मा 'प्रेम'

बड़े सवेरे जब खिलते
बेला, गुलाब, कचनार,
मुझे बहुत प्यारा तब लगता
फूलों का संसार!

गेंदा, चंपा और चमेली
महकी-महकी हैं अलबेली,
आँगन में आ गई अचानक
आज बसंत बहार!

रंग-रंग के फूल खिले हैं
मुझसे तो सब हिले-मिले हैं,
फूलों की सारी बगिया है
अपना ही परिवार।

रंग घोलते, महक लुटाते
फूल हमेशा ही मुस्काते,
धूप ताप हो, चाहे वर्षा
पड़े मूसलाधार!