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फूल और स्त्री / शिव कुशवाहा

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खिले हुए फूलों की सुंदरता
सबसे अधिक आकर्षित करती है
एक स्त्री को
और एक स्त्री की सुंदरता
पूरी दुनिया को करती है नजरबंद

खिले हुए फूलों के
बहुत करीब होती स्त्री
और स्त्री बहुत करीब होती है
सुकोमल भावनाओं के.

स्त्री के विचार
होते हैं फूलों की तरह कोमल
और हृदय होता है
पंखुड़ियों की तरह उन्मुक्त

धरती पर गिरे हुए फूल
अपनी खूबसूरती नहीं छोड़ते
उसी तरह एक स्त्री
सम्हालती है खुद को
बचा लेती है अपने लिए
खोया हुआ अपना सत्व

कि फूल और स्त्री
पूरी दुनिया के इतिहास में
सबसे सुंदर और मार्मिक अभिव्यक्त है...