भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बगत हि त छ / बीना कण्डारी

Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:53, 28 मार्च 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बीना कण्डारी }} {{KKCatGadhwaliRachna}} <poem> बगत हि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बगत हि त छ !
जूनि मा कूड़ी बणाणा को
पुटगुंद हि मनखी कि
जाति खुज्याणा को
बगत हि त छ !

पांच सौ कु नोट
द्वी किलो कु थैला
बांदरों का खुचिलों
कुकरों का छौला
बगत हि त छ !

ज्वानो की मतिंग /दानों की भतिंग
घास -पाणी -सब्या धाणी
अर ग्वीलों लतिग
बगत हि त छ !

भद्यळा , चमचों की बरात
नौकर्यूं म जात पात
बिजली विभागम अंध्यरि रात
अर स्कूलों मा दाळ भात
बगत हि त छ !

कपाळ थमणू ब्रह्म (क्लोनिंग का वजै से )
नाक बुजणु महेश (प्रदुषण का वजै से )
अर चमच्चों न घटाघट
दूध पीणू गणेश
बगत हि त छ !