http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%AC%E0%A4%9A%E0%A4%AA%E0%A4%A8_%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%9A%E0%A5%87%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BE_/_%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AD%E0%A5%81%E0%A4%A6%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B2_%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%B5&feed=atom&action=historyबचपन का चेहरा / प्रभुदयाल श्रीवास्तव - अवतरण इतिहास2024-03-28T14:24:23Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%AC%E0%A4%9A%E0%A4%AA%E0%A4%A8_%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%9A%E0%A5%87%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BE_/_%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AD%E0%A5%81%E0%A4%A6%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B2_%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%B5&diff=173708&oldid=prevSharda suman: '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया2014-05-06T08:21:25Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया</p>
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|रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव<br />
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|संग्रह=<br />
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<poem><br />
चलो किसी ठेले पर चलकर,<br />
दोनों खाएँ चना चबेना।<br />
आधे पैसे मैं दे दूँगा,<br />
आधे पैसे तुम दे देना।<br />
<br />
झूठ बोलना ठीक नहीं है,<br />
लिखा किताबों में है ऐसा।<br />
झूठ बोलने वाला हर पल,<br />
मन ही मन डरता रहता है |<br />
हमने खाई चाट पकौड़ी,<br />
अम्मा से सच-सच कह देना।<br />
<br />
चुरा-चुरा कर रात चाँदनी,<br />
फूलों ने भीतर भर ली है।<br />
अपनी कंचन निर्मल काया,<br />
दुग्ध बरफ जैसी कर ली है।<br />
चोरी का इल्जाम भूल से,<br />
भी फूलों पर मत धर देना।<br />
<br />
बचपन की यह भोली चोरी,<br />
कभी नहीं चोरी कहलाती।<br />
मात यशोदा कृष्ण कन्हैया,<br />
की चोरी से खुश हो जातीं।<br />
ऐसी मन भावन चोरी को,<br />
श्वास-श्वास भीतर भर लेना।<br />
<br />
चोरी की परिभाषा भी तो,<br />
बचपन कहाँ जान पाता है।<br />
जो भी उसे ठीक लगता है,<br />
उठा-उठा कर ले आता है।<br />
वहाँ सिर्फ ईमान लिखा है,<br />
बचपन का चेहरा पढ़ लेना। <br />
</poem></div>Sharda suman