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बचपन के हमरा याद के दरपन कहाँ गइल / मनोज भावुक

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बचपन के हमरा याद के दरपन कहाँ गइल
माई रे, अपना घर के ऊ आँगन कहाँ गइल

खुशबू भरल सनेह के उपवन कहाँ गइल
भउजी हो, तहरा गाँव के मधुवन कहाँ गइल

खुलके मिले-जुले के लकम अब त ना रहल
विश्वास, नेह, प्रेम-भरल मन कहाँ गइल

हर बात पर जे रोज कहे दोस्त हम हईं
हमके डुबाके आज ऊ आपन कहाँ गइल

बरिसत रहे जे आँख से हमरा बदे कबो
आखिर ऊ इन्तजार के सावन कहाँ गइल