Last modified on 26 अगस्त 2009, at 20:26

बचपन में मैं रोता था / जगदीश रावतानी आनंदम

बचपन में मैं रोता था
खूब चिल्ला-चिल्ला कर रोता था
माँ-बाप, चाचा-चची, भाई-बहन
सबका खूब प्यार हासिल करता था
हाँ, मैं जानबूझ कर रोता था
अब भी मैं रोता हूँ
पर ये देखता हूँ किसी ने देखा तो नहीं