भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बच्चे तुम अपने घर जाओ / गगन गिल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गगन गिल |संग्रह=थपक थपक दिल थपक थपक / गगन गिल }} {{KKCatKa…) |
|||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=गगन गिल | |रचनाकार=गगन गिल | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह= |
}} | }} | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
बच्चे तुम अपने घर जाओ | बच्चे तुम अपने घर जाओ | ||
घर कहीं नहीं है | घर कहीं नहीं है | ||
− | तो वापस कोख में जाओ | + | तो वापस कोख में जाओ, |
माँ कहीं नहीं है | माँ कहीं नहीं है | ||
− | पिता के वीर्य में जाओ | + | पिता के वीर्य में जाओ, |
पिता कहीं नहीं है | पिता कहीं नहीं है | ||
− | तो माँ के गर्भ में जाओ | + | तो माँ के गर्भ में जाओ, |
गर्भ का अण्डा बंजर | गर्भ का अण्डा बंजर | ||
तो मुन्ना झर जाओ तुम | तो मुन्ना झर जाओ तुम |
16:00, 1 जून 2010 के समय का अवतरण
बच्चे तुम अपने घर जाओ
घर कहीं नहीं है
तो वापस कोख में जाओ,
माँ कहीं नहीं है
पिता के वीर्य में जाओ,
पिता कहीं नहीं है
तो माँ के गर्भ में जाओ,
गर्भ का अण्डा बंजर
तो मुन्ना झर जाओ तुम
उसकी माहावारी में
जाती है जैसे उसकी
इच्छा संडास के नीचे
वैसे तुम भी जाओ
लड़की को मुक्त करो अब
बच्चे तुम अपने घर जाओ