बच्चे तो स्कूल गये
घर से कहाँ उसूल गये
आज सभी पर हँसते हो
अपना कल तुम भूल गये
आख़िर क्या है उसमें जो
तुम बहुतों से फूल गये
अब लगता है बिना वजह
वो फाँसी पर झूल गये
सिर्फ़ तुम्हारी दावत थी
घर भर वहाँ फ़ुज़ूल गये
स्वागत हुआ अमीरों का
रौंदे मुफ़लिस फूल गये