भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बच्चे सरकार चलायेंगे / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:59, 30 जून 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
 दिल्ली जाकर अब हम तो,
अपनी सरकार बनायेंगे|
भरत देश के बालक हैं हम,
भारत देश चलायेंगे|

 जब अपनी सरकार बनेगी,
ऐसा अलख जगायेंगे|
भय और भूख‌ मिटेगी पल मॆं,
भ्रष्टाचार हटायेंगे|

 अब आतंकी सीमाओं से,
भीतर न घुस पायेंगे|
यदि घुसे चोरी चोरी तो,
सारे मारे जायेंगे|

 स्वच्छ प्रशासन देंगे सबको,
बिजली घर घर में होगी|
बिना कटोती मिलेगी सबको,
यह करके दिखलायेंगे|

 त्राहि त्राहि भी अब पानी की,
किसी गांव में न होगी|
सारे शहर और कस्बों को,
हम पानी पिलवायेंगे|

 रिश्वत, घूस कमीशन लेता,
अगर कोई भी मिलता है|
बीच सड़क या चौराहे पर,
हम फाँसी लटकायेंगे|

 डर के मारे भूत भागते,
ऐसा लिखा किताबों में|
यही व्यवस्था प्रजातंत्र में,
हम करके दिखलायेंगे|

 तस्कर डाकू राजनीति में,
अब घुस भी न पायेंगे|
यदि आ गये चोरी से तो,
उनको मार भगायेंगे|

 बच्चों के द्वारा बच्चों की,
और बच्चों की ही खातिर|
दिल्ली में लंबे अर्से तक,
हम सरकार चलायेंगे|