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बड़ा बाघ / सुधीर बर्त्वाल

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छ्व्टा मा सूणी छो कि
जु ग्वोरूं तै मारदु
सु ग्वर्या बाघ होंदु।
अर जु मनख्यूँ तै मारदु
सु मनख्या बाघ होंदु।
पर अब पता चलि कि,
जौन चूसलिन हमारी आस,
हमारा संस्कार।
हमारी दया, लाड, त्याग
अर हमारा बोटं्या रीति-रिवाज।
सी...............
यूं से भी बड़ा बाघ होंदा।