टोपी पहने, माइक सँभाले
बंदर राजा आए,
खूब अकड़कर, मटक-मटककर
ढेरों गाने गाए।
हाथ जोड़कर जनता को, फिर
असली मकसद पर आए,
अपना वोट मुझी को देना
कह करके मुसकाए।
इतने में आई बंदरिया
बोली-बंदर राजा,
राजनीति में पेंच बहुत हैं
बड़ा बेसुरा बाजा।
चलकर पेड़ों की छाया में
खाएँगे मीठे फल,
बड़ा बुरा है नेताओं का
यह चुनाव का दंगल!