Last modified on 29 मार्च 2017, at 15:46

बड़े अदब से जो उसने सलाम भेजा है / श्याम सुन्दर नंदा नूर

Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:46, 29 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्याम सुन्दर नंदा नूर |संग्रह= }} {{KKC...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बड़े अदब से जो उसने सलाम भेजा है।
ये लग रहा है महब्बत का जाम भेजा है।

चले भी आओ किसी दिन निकाल कर फुर्सत
बहुत दिनों में ये उसने प्याम भेजा है।

खुदा का शुक्रिया वाजिब है हर घड़ी हम पर
हमें बना के तुम्हारा गुलाम भेजा है।

सलाम भेजा नही उसने भूल कर हमको
सलाम उसको तो हम ने मुदाम भेजा है।

जवाब आने का इम्कान कम सही लेकिन
खत उसको हमने बसद एहतिराम भेजा है।