Last modified on 28 अगस्त 2020, at 12:14

बदन जब ख़ाक है आवारगी से क्या शिकायत / विक्रम शर्मा

 
बदन जब ख़ाक है आवारगी से क्या शिकायत
मुसाफ़िर! कर रहा है बे-घरी से क्या शिकायत

जो कुछ लोगों से ही होती तो हम ज़ाहिर भी करते
सभी से है शिकायत सो किसी से क्या शिकायत

रक़ीबों को किया मल्लाह, टूटी कश्तियाँ ली
हमें तो डूबना ही था नदी से क्या शिकायत

मिरे किरदार ! जाने दे नज़रअंदाज कर दे
ख़ुदा की फ़िल्म है ये आदमी से क्या शिकायत

मियाँ दिल आजकल बातें नहीं सुनते हमारी
सो इनसे है शिकायत अजनबी से क्या शिकायत