बदली-बदली-सी है सारी तस्वीर आज
ख़ुद ही तोड़ी है औरत ने ज़ंजीर आज
दर्दे दिल में उठी ऐसी है पीर आज
पलकों में कैसे सम्भले भला नीर आज
हर दुआ मेरी तो हो रही है क़बूल
ख़ुश है पहली दफ़ा मुझसे तक़्दीर आज
उनसे मिलने की हसरत बहुत है मुझे
सूझती लेकिन नहीं कोई तद्बीर आज
तुझको ख़ैरात में दूँ ज़मीं आस्मां
पाँव की तू जो पिघला दे ज़ंजीर आज