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बधाए आए अँगना लिपाए रखती रे / ब्रजभाषा

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बधाए आए अँगना लिपाए रखती रे॥-2
जो मैं ऐसो जानती, ससुरजी आयेँगे आज,
ससुरजी लिए, हुक्का मँगाए रखती रे। बधाए...
जो मैं ऐसो जानती, जेठजी आयेँगे आज,
जेठजी लिए चाय बनाए रखती रे।बधाए...
जो मैं ऐसो जानती देवर जी आयेँगे आज,
देवर जी लिए रंग मँगाए रखती रे।बधाए...
जो मैं ऐसो जानती, नंदेऊ आयेँगे आज,
नंदेऊ लिए पान मँगाए रखती रे। बधाए...
जो मैं ऐसो जानती राजाजी आयेँगे आज,
राजाजी लिए पलंग सजाए रखती रे। बधाए...