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बनवा मां बैठी है सिता / बघेली

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बघेली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बनवा मां बैठी है सिता रानी मन मा बिसूरइं
मन मा बिसूरइं हो
आवा को मोरे आगे पीछे बैठी
लटै लट बिउरी-लटै लट बिउरिउ हो
आवा को लोहधकरिन बोलाई तों
तौ नारा छिनाई-नारा छिनाई हो
आवा को लाई सोने केर छूरा
रूपेन केर खप्पर-रूपेन केर खप्पर हो
आवा को लाई शाला दुशाला
पितम्बर ओढ़ाई-पितम्बर ओढ़ाई हो
बनवा से निकरी बन सतिन सिता का समुझावै
सीता का समुझावै हो
आवा हम तुम्हरे आगे पीछे बैठब
लटै लट बिउरब-लटै लट बिउरब हो
सिता हम लोहधकरिन बोलाउब
तौ नारा छिनाउब-तौ नारा छिनाउब हो
आवा हम लउबै सोनेन के छूरा
रूपेन केर खप्पर-रूपेन केर खप्पर हो
सिता हम लउबै शाला दुशाला
पितम्बर ओढ़उबै-पितम्बर ओढ़उबै हो
भोर भयें हैं भिनसार तौ लालन भें हइं होरिल भे हैं हो
आवा बजईं लागीं अनंद बधइया
गवैं सखि सोहर-गवैं सखि सोहर हो
हंकरहु नगर केर नउवा हंकरि वेगि लावा
हंकरि वेगि लावउ हो
नउवा रचि रचि बांटा हरदिया
रोचन पहुंचावा-रोचन पहुंचावउ हो
पहिल रोचन मोरे गुरू जी का
दुसरे कौशिल्या जी का-दुसरे कौशिल्या जी का हो
आवा तिसरा रोचन लछिमन देवरा
पपीहवा न जानइ-पपीहवा न जानइ हो
खगरा मा बैठे राजा राम तौ भइया लछन गये
भइया लछन गये हो
भइया भहर-भहर होय माथ-रोचन कहां पाया
रोचन कहां पायउ हो।
भल बौरान्या है भइया भलिनि मति मारी
भलिनि मति मारी है हो
भइया भउजी के भे हइं नंदलाल
रोचन हम पायन-रोचन हम पायन हैं हो