भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बनी ! थूंई मत जाणे बना सा ऐकला रै / राजस्थानी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:00, 9 सितम्बर 2016 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बनी ! थूंई मत जाणे बना सा ऐकला रै
झमकू ! थूंई मत जाणे "राइवर" ऐकला रै!
साथे चूड़ीदार, चौपदार, हाकिम ने हवालदार
कागदियों से कांमदार, काका ऊभा किल्लेदार
भौमा ऊबा मज्जादार, सखाया सब लारोलार
फूल बिखौरे गजरों गंधियों रै
बनी थूंई मत जाणे बनासा एकला रै