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"बन्द कर लो द्वार / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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− | |रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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− | [[Category:हाइकु]]
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− | <poem>
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− | 136
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− | हे बन्धु मेरे
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− | '''बन्द कर लो द्वार'''
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− | लौटना नहीं।
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− | 137
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− | हम थे जोगी
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− | धरा -गगन घर
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− | चले जिधर।
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− | 138
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− | जागोगे जब
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− | हमें नहीं पाओगे
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− | रोना अकेले।
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− | 139
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− | हरित पत्र
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− | रक्तिम पतझर
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− | मेपल झरा।
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− | 140
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− | हँसा विपिन
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− | जगमग आँगन
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− | मेपल लाल।
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− | 141
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− | हृदयतल
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− | आरती बन गूँजे
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− | मधुर बैन।
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− | 142
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− | ज़रा ठहर,
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− | '''बीतने ही वाला है'''
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− | ये तीसरा पहर।
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− | 143
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− | हुई अँजोर
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− | बज उठी साँकल
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− | खोलो जी द्वार!
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− | 144
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− | हुलसा उर
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− | सुनी थी पदचाप
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− | आए वे द्वार।
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− | 145
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− | हेरते तट
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− | नदी कब रुकी है
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− | उफनी भागी।
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− | -0-
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− | <poem>
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13:28, 5 अगस्त 2022 के समय का अवतरण