Last modified on 16 फ़रवरी 2017, at 16:20

बबलू जी ने दिल्ली देखी / प्रकाश मनु

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:20, 16 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रकाश मनु |अनुवादक= |संग्रह=बच्च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बबलू जी ने दिल्ली देखी
दिल्ली में एक बिल्ली देखी,
लाल किले पर चढ़कर कूदी
तबीयत उसकी ढिल्ली देखी।

महरौली में बिल्ला देखा
हाँ जी, बागड़बिल्ला देखा,
उस पर भौं-भौं भौंक रहा था
मरियल सा एक पिल्ला देखा।

कनाट प्लेस में भीड़-भड़क्का
दरियागंज में ट्रैफिक बंद,
पों-पों, पीं-पीं कान फोड़ती
भूल गए कविताई, छंद!

इधर भीड़ थी, उधर भीड़ थी
परेशान बबलू बेचारे,
इसी बीच में जेब कटी तो
दीख गए आँखों में तारे।

बबलू जी घबराकर बोले-
जाएँगे जी, हम अपने घर,
दिल्ली हमको रास न आती
पछताए दिल्ली में आकर!