Last modified on 12 जनवरी 2008, at 17:57

बम का व्यास / येहूदा आमिखाई

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:57, 12 जनवरी 2008 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: येहूदा आमिखाई  » संग्रह: धरती जानती है
»  बम का व्यास



तीस सेंटीमीटर था बम का व्यास

और इसका प्रभाव पडता था सात मीटर तक

चार लोग मारे गए ग्यारह घायल हुए

इनके चारों तरफ एक और बड़ा घेरा है - दर्द और समय का

दो हस्पताल और एक कब्रिस्तान तबाह हुए

लेकिन वह जवान औरत जो दफ़नाई गई शहर में

वह रहने वाली थी सौ किलोमीटर दूर आगे कहीं की

वह बना देती है घेरे को और बड़ा

और वह अकेला शख़्स जो समुन्दर पार किसी देश के सुदूर किनारों पर

उसकी मृत्यु का शोक कर रह था - समूचे संसार को ले लेता है इस घेरे में


और मैं अनाथ बच्चों के उस रूदन का ज़िक्र तक नहीं करूंगा

जो पहुँचता है ऊपर ईश्वर के सिंहासन तक

और उससे भी आगे

और जो एक घेरा बनाता है बिना अंत और बिना ईश्वर का ।


इस कविता का अनुवाद : अशोक पांडे